I am deleting my poems I am deleting my poems
I am deleting my poems. I am deleting my poems.
यूँ ही बैठा, हथेली को ताक रहा था, लकीरें कम तो नहीं, ये आँक रहा था...! यूँ ही बैठा, हथेली को ताक रहा था, लकीरें कम तो नहीं, ये आँक रहा था...!
बस मेरे उस चांद सी ख्वाहिश हो तुम जो हो तुम, बस वहीं हो तुम। बस मेरे उस चांद सी ख्वाहिश हो तुम जो हो तुम, बस वहीं हो तुम।
वोह बचपन भी कितना सुहाना था जिसमे हर दिन एक फ़साना था। वोह बचपन भी कितना सुहाना था जिसमे हर दिन एक फ़साना था।
इस आबाद कस्बे में नहीं उस वीरान शहर के पास ही कहीं है। इस आबाद कस्बे में नहीं उस वीरान शहर के पास ही कहीं है।